Friday, January 7, 2011

chand par paani

आह ! हमारा चाँद , जहाँ हमारे "चंद्रयान" ने पानी ढूंढ निकला, उस से भी हजार साल पहले (गीता सूक्त 13, अध्याय 15 ) में चाँद पर पानी की बात हो चुकी ...शेक्सपियर महोदय अपने नाटक हैमलेट में भी बता गये ! सवाल यह है की "अब उस पानी पर पहला अधिकार किसका , कौन वहां कुआँ / घड़े /बोतलें /टयूबवेल ठोकेगा ? कौन सी सरकारें ?? या फिर निजीकरन


मुझे लगता है प्यासी धरती की प्यास दूर करने वाली अमरीकी कोम्पनिओं को सर्वाधिक जल्दी होगी !यह भीड़ अपनी "नीली तयारी" में है की चाँद का पानी हमारा ., हम तो प्यासे भारत की नदिओं और प्यास पर अधिकार कर चुके .एक तरीका है की जिस तरह धरती की दक्षिणी आइस कैप पर किसी का अधिकार नहीं (1961 ) , तो चाँद की दक्षिणी सतह , जहाँ पानी के संकेत हैं वहां भी किसी का अधिकार नहीं होगा ...पर क्या ऐसा हो पायेगा ...

चलो दिलदार चलो , चाँद के पार चलो .

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