Sunday, May 3, 2009

यदि प्यार नही तो ....

इन दिनों बहुत घूमा और पाया की हम मनुष्यों का अपने सिवा अन्य जीवों से, पृथ्वी की अन्य बरकतों से प्यार कम होता जा रहा है। किस तरह से हम अपने आसपास से कटे हुए इस कायनात को खराब और प्रदूषित करते जा रहे हैं। शायद अपने से भी कटते , ख़ुद अपने से दूर होते जा रहे हैं।
और फिर यह पंक्तिआं मन में कौंधी :

युवती रात को सोने लगती है कोई किवाड़ खटखटाता है
युवती पूछती है "कौन है'', बाहर से आवाज़ आती है "मैं "
युवती करवट बदल कर सो जाती है ।

अगली रात कोई फिर किवाड़ खटखटाता है
युवती फिर पूछती है "कौन है "
आवाज़ आती है "मैं"
युवती फिर करवट बदल कर सो जाती है ।

एक रात कोई फिर किवाड़ खटखटाता है
अधसोई युवती फिर पूछती है "कौन है "
बाहर से आवाज़ आती है "तुम",

और युवती प्यार के लिए किवाड़ खोल देती है ।

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