Saturday, April 25, 2009

कल्पना बकवास, फ़िर भी

सन् 2009 भारत .

"भाई दूध कैसे किलो "।
"ये वाला 15 रूपये , ये वाला 17 रूपये और यह वाला 20 रूपये किलो"।

"पर ये अलग अलग कीमतें क्यों भाई "?
"सर जी क्रीम की मात्रा भी अलग अलग है ना,
कम मलाई वाला , मीडियम क्रीम वाला और ज़्यादा क्रीम वाला "।

(पास पड़े अखबार पर नज़र पड़ती है)

"यूरोप के एक देश में मलमूत्र/टॉयलेट के पानी को शुद्ध करने की तकनीक विकसित, सप्लाई शुरू "।

सन् 2012 भारत ।

"भाई पानी कैसे लीटर "।
"ये चमडा, शीशा कारखाने /तेजाब, पटाखा फैक्ट्री का शुद्ध किया 40 रु लीटर "।
"ये गन्दी नाली का शुद्ध किया 35 रु लीटर "।
"ये होटलों के बाथरूम्स से आया और शुद्ध किया 30 रु लीटर" ।

"और यह दो दो इकठी बोतलों वाला "??
"इस पर स्कीम है सर "।
"क्या मतलब, बोले तो "।
"सर यह सस्ता वाला है , एक के साथ एक बोतल फ्री"।
"अच्छा !! पर ये आया कहाँ से "?
"संडास का सर , पब्लिक टॉयलेट से आया और शुद्ध किया। इस पर हैल्थ डिपार्टमेंट का सर्त्तिफिकेट है "।

लम्बी चुप्पी .....

"दोनों बोतल कितने की"?
"20 रु लीटर और एक के साथ एक फ्री । सारे गरीब लोग यही ले जाते सर "

ps.
(With apologies to all of you).

5 comments:

  1. cool, ernesto,cool
    new language of science for masses

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  2. can we, should we, and above all, can we NOT be a part of this 'CHANGE'.....O HAMLET, THAT'S THE QUESTION!

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  3. A peep into the future. No doubt why third WW will be for water

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  4. can i copy it? for more viewers of my blog. withyour name;with thanks

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  5. shayad abhi hum jal ka mahatav nahi samjh pa rahe hai ya fir samjhana nahi chatey

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