Tuesday, May 26, 2009

नही करते दिल बहलाने की बातें

कल एक लोकल नेता मोबाइल संदेश में कहता है," डॉ साहेब यह क्या बात हुई की कोई धार्मिक बाबा सात समुंदर पार वियेना में कत्ल किया जाता है तो हमारा पंजाब जलना शुरू । क्या हम भारतीयों की तरह नही रह सकते ..."
मै सोच में पड़ गया की मेरे, आपके अंदर भारत है भी ? भारत, क्या भारत है। यह कौन सा भारत है जो किसी बाबा, पीर फ़कीर की हत्या होते ही पंजाब बन जाता है।
फिर सोचने लगा की कहीं, हमने , हमारे समाज ने ख़ुद को धर्मों, इलाकों में तो नही बाँट लिया।क्या हमारी सोच ऐसी तो नही हो गई की: मै हिन्दू तू सिख ,वो ब्राह्मण यह दलित, फलां इस्साई और वो कस्साई । हमारा पीर पैगम्बर पंजाबी , तुम्हारा....

अनगिनत बच्चे , औरतें, आदमी, बीमार यात्री भूख प्यास से बेहाल चिलचिलाती धूप में सड़कों पर ट्रैफिक जाम में , जलती रेल बोगिओं में ..... मीलों लंबे ट्रैफिक जाम ...मार तोड़...आगज़नी ।
यह अगर हमारे किसी पंजाबी (?) बाबा की निर्वाण प्राप्ति का परिणाम है तो सर इंसानियत का नीचा पडा । पंजाबियत या भारतीयता फिर किस खेत की मूली।
हम मूलत इंसान हैं , बाकि सब कुछ बाद में।
नाजी जर्मनी/हिटलर की, मानवता के ख़िलाफ़ हिंसक बर्बरताओं के बारे में, आश्वित्ज़-यातना-शिविर के पचास्सी हज़ार में से बचे सिर्फ़ 6 लोगों से पत्रकारों ने जब कहा , "आपके साथ यह सब जब हो रहा था, तब ईश्वर कहाँ था "
उन लोगों का जवाब एक सवाल जैसा ही था , "ईश्वर को छोड़ो, उस वक्त इंसान कहाँ था "?
मैं यह भी सोच रहा हूँ की पंजाबी(?) बाबा की विदेश में हत्या के बाद ईश्वर भी पंजाब की धरती से फिलहाल जा चुके हैं।

आने वाले दो तीन दिन में ईश्वर लौटें या ना, दिवंगत बाबा के उपदेश ज़रूर पंजाबिओं की इंसानियत का इम्तिहान लेंगे ,

और भारतीयता का भी....तथास्तु ।

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बात पंजाब की हो रही है तो एक हकीकत यह भी की यहाँ के सरकारी स्कूलों में पढाने वाले नब्बे प्रतिशत से ज्यादा अध्यापकों के अपने बच्चे प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा पाने जाते हैं ।
यानि जिस सिस्टम से आप अपनी रोज़ी रोटी मांजते हैं उसी में आपका विश्वास नही।

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